Whatsapp Status-व्हाट्सअप स्टेटस
कर्ज़ होता तो उतार देते,
इश्क़ है चढ़ता ही जा रहा है.
कभी पत्थर से भी नही आती खरोंच,
कभी एक बात से ही इंसान बिखर जाता है.
उसका नाम ज़ुबाँ पर आते-आते रुक जाता है,
कोई जब मुझसे मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है.
कह देना भर ही काफ़ी नहीं,
जतायी न जाएँ, तो कुछ बातें मुक़म्मल नहीं होतीं.
मेरे शब्दों में अगर खुद को महसूस करते हो,
तो यकीनन मुहोब्बत में हो तुम.
गुलाबों से मुहोब्बत है जिन्हें...उन्हें ख़बर कर दो
चुभने वाले काटें भी बहुत अरमान रखते है.
अरे सुनो आ जाया करो ना..
घूमने मेरे दिल में, पाबंदी तो बाहर हैं.
घूमने मेरे दिल में, पाबंदी तो बाहर हैं.
फिक्र बता रही है मुहोब्बत ज़िंदा है,
फ़ासलों से कह दो गुरूर ना करे.
टपकती है निगाहों से बरसती है अदाओ से,
कौन कहता है मुहोब्बत पहचानी नहीं जाती.
मैं सर-ऐ- बाजार बेचता रहा झुमकों का गुच्छा,
वो एक नथनी पहने नाक में मेरा ️दिल ख़रीद ले गयी.
हर एक पहलू तेरा मेरे दिल में आबाद हो जाये,
तुझे मैं इस क़दर देखूं मुझे तू याद हो जाये.
वो आराम से हैं.. जो पत्थर के हैं,
मुसीबत तो.. एहसास वालों की है.
कुछ तो बताओ उसकी सूरत, सीरत के बारे मे,
जिसे देख कभी तुम भी बेईमान हुए थे.
ताकत की जरूरत तब होतीं हैं जब कुछ बुरा करना हों,
वरना दुनियाँ में सब कुछ पाने के लिए प्यार ही काफ़ी हैं.
मैं अपनी सांस में ख़ुशबू उसी की पाती हूँ,
अब इससे बढ़कर के वह मेरे क़रीब क्या होगा.
इश्क़ की गहराईयों में खूबसूरत क्या है,
मै हूँ तुम हो किसी और की ज़रूरत क्या है.
अपनी कलम से ️दिल से ️दिल की बात करते हो,
सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते की हमसे प्यार करते हो.
ख़ैरियत नहीं पूछते मेरी मगर खबर रखते हैं,
पता है मुझे की वो..मुझ पे ही नज़र रखते हैं.
मारना ही था तो गोली मार देते,
यूँ पल पल तड़पाने की जरुरत क्या है.
ये अलग बात है, नींदें ही उड़ गयीं मेरी,
आप को देख के जागे हैं नये ख़्वाब कई.
क्यों मेरे दिल के इतने पास हो तुम,
कोई तो वज़ह होगी जो इतने ख़ास हो तुम.
तेरी आँखों में एक शरारत सी हैं,
क्या लेना चाहते हो दिल य़ा जान.
ऐसा नहीं है कि इतिफाक हुआ है,
बिछड़ना तेरा पहले से तय था.
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती.
हमने तो एक ही शख़्स पर चाहत ख़तम कर दी,
अब मोहब्बत किसे कहते है हमे मालूम नहीं.
शायरी समझते हो जिसे तुम सब,
वो किसी से मेरी अधूरी शिकायतें है.
कभी तुम पूँछ लेना कभी हम भी ज़िक्र कर लेंगे,
छुपाकर दिल के दर्द को एक दूसरे की फिकर कर लेंगे.
सिर पे आसमान,पैरों तले ज़मीं है,
फिर भी बेचैन है दिल ना जाने अब क्या कमी है.
न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की.
बिजलियां तो गिरनी ही थी दिल पर मेरे यारों,
मैंने उस चांद से चेहरे को शर्माते जो देखा है.
मैं उदास भी हूं नाराज भी हूं तुमसे ए मेरी जान,
क्यों नहीं गले लगा कर तुमने मेरी बेरुखी का हाल पूछा.
छुप जाता है चांद अक्सर बादलों में जैसे,
इस तरह को पगली अपना चेहरा घुंघट में छुपा लेती हैं.
वो पढ़ कर अब अक्सर रो देती है शायरी मेरी,
लिखी थी जो कभी हमने यादों में उसकी रो रो कर.
अपने अहम् को थोड़ा-सा झुका के चलिये,
सब अपने लगेंगे ज़रा-सा मुस्कुरा के चलिये.
इस मोहब्बत की किताब के, बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए, कुछ हम जैसे बरबाद हुए.
भूलना तो ज़माने की रीत है,
मग़र तुमने शुरुआत हमसे क्यों की.
कितना दुशवार है फ़ितरत का बदल लेना यूसुफ़,
लोग काबा गए, और दिल से बुराई न गई.
मुझे अपनी वफादारी पे कोई शक नहीं यारों,
मैं अपना दिल झुका देता हूँ जब झंडा उठाता हूँ.
खुशबु को फैलने का बहुत शौक है मगर,
मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बगैर.
सच के चेहरे में यहाँ झूठ के फसाने देखे,
दुश्मनों को जब गौर से देखा उनमे कई दोस्त पुराने देखे.
अधूरी ज़िन्दगी महसूस होती है,
मुझे तेरी कमी महसूस होती है.
अपने होने की अब कोई वजह नही दिखती,
इस कदर धुँधला गयी है मेरी आँखे तेरे बगैर.
तुम इतनी नादां भी नहीं हो की समझ न सको,
मेरी चंद लाइनों में सिर्फ तेरा ही जिक्र होता है.
तस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी है,
मगर एक तस्वीर है जो ख्यालों में बनी है.
भूली हुई सुबह हूँ मुझे याद कीजिए,
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए.
शोर न कर धड़कन ज़रा थम जा कुछ पल के लिए,
बड़ी मुश्किल से मेरी ️आँखों में उसका ख़्वाब आया है.
रात ढलने लगी है बदन थकन से चूर है,
ऐ ख़्याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे.
अभी नादान हूँ मैं इश्क़ मैं जताऊं कैसे,
प्यार कितना तुमसे है बताऊं कैसे.
तुम इतनी नादां भी नहीं हो की "समझ" न सको,
मेरी चंद लाइनों में सिर्फ तेरा ही "जिक्र" होता है.
दो घड़ी प्यार की करें बातें,
दिल जलाने को उम्र सारी है.
आँचल फिर अश्कों से भिगोने बाली हूँ,
जी भर के तेरी याद में रोने बाली हूँ.
कितना रोया था... मैं तेरी ख़ातिर,
अब जो सोंचू तो.. हँसी आती है.
फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे ऐ जिन्दगी,
ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी..उस मिट्टी से ज्यादा गन्दी है.
अब हाथ जोड़कर क्यूँ कहते हो, कि बखेड़ा ना करो,
मैंने पहले ही कहा था कि मैं शायर हूं, मुझे छेड़ा ना करो.
भला उसे क्या अफ़सोस होता मेरे न होने का,
उसके पास दोस्तों का एक हुज़ूम जो था.
गोरे जिस्म की तलाश में कभी निकला ही नहीं,
मैं शुरू से ही फ़िदा था तेरी सांवली सी सूरत पे.
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर,
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे.
अब कोई ख्वाब नया दिल में उतरता ही नहीं,
बहुत ही सख्त पहरा है तुम्हारी चाहत का.
इश्क करती हूँ तुझसे अपनी जिंदगी से ज्यादा,
चाहे तो हमे आज़मा कर देख किसी और से ज्यादा.
मेरी ज़िंदगी में बस एक ही ग़म है,
मुझे समझने बाले बहुत कम हैं.
उठती नहीं है आंख किसी और की तरफ,
पाबंद कर गई है किसी की नजर मुझे.
मेरे लिए खुशियों की दुआ करते हो ना,
तो तुम खुद मेरे क्यों नहीं हो जाते.
तुझे चाहा तो मोहब्बत की समझ आयी,
वरना हम तो इश्क़ की..
तक़लीफ़ के अफ़साने सुना करते थे.
उसको साँये की ज़रूरत नही सहराओं में,
जिसको दिन रात बुजुर्गों की दुआएं मिलती है.
ख़त की खुश्बू ही बता रही थी,
ज़रूर खुले होंगे बाल उस बेवफ़ा के.
एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है,
ये जो मेरी मौत पर रो रहे है,
अभी उठ जाऊं तो जीने नहीं देंगे.
तेरे इस हिज़्र ने ज़ालिम किया है हाल मेरा ऐसा,
देख कर मुझे मेरी तस्वीर भी रोती है.
जितना सुलझाओगे यह और उलझ जाएगी,
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ तो नहीं जो सँबर जाएगी.
आँसू सूख जाए जब तलक ठहरो तुम,
️आँख मेरी दुःखा कर फिर चले जाना.
थक गया हुँ लगा - लगा के मैं,
एक के बाद दुसरी उम्मीद तुमसे.
कई आँखों में रहती है कई बांहें बदलती है,
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है.
मैंने अपनी ख्वाहिशों को दीवार में चुनवा दिया,
खामखाँ जिंदगी में अनारकली बनके नाच रही थी.
आ जाओ कुछ पल ज़िक्र करें उन दिनों का,
जब तुम हमारे और हम तुम्हारे हुआ करते थे.
तमाम शहर से मैं जंग जीत सकता हूँ,
मगर मैं तुमसे बिछड़ते ही हार जाऊंगा.
उम्र भर भी न होगा रफू कभी,
वो पल जो नफरतों ने उधेड़ा था एक दिन.
जिस्म की दीवारों से रूह नज़र आने लगी,
बहुत अंदर तक तोड़ गया तेरा हिज़्र मुझे.
तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है कि,
अब मैं नहीं रोता लोग मुझे देख कर रोते हैं.
घुटन सी होने लगी उसके पास जाते हुए,
मैं ख़ुद से रूठ गया हूं उसे मनाते हुए.
वो किताबों में दर्ज़ था ही नहीं,
सिखाया जो सबक ज़िन्दगी ने.
यूं तो किसी चीज के मोहताज नही हम,
बस एक तेरी आदत सी हो गयी है.
आँखे खुली जब मेरी तो जाग उठीँ हसरतेँ सारी,
उसको भी खो दिया मैँने..जिसे पाया था ख़्वाब मेँ.
सुबह की ख़्वाहिशें शाम तक टाली हैं,
कुछ इस तरह हमने ज़िंदगी सम्भाली हैं.
चलो माना कि हमें प्यार का इज़हार करना नहीं आता,
जज़्बात न समझ सको, इतने नादान तो तुम भी नहीं.
तुम्हारे सब चाहने वाले मिलकर भी,
️उतना नहीं ️चाह सकते तुम्हें
जितनी ️मोह़ब़्बत मैं️अकेला करता हूँ तुमसे.
महोब्बत और नफरत सब मिल चुके हैं मुझे,
मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चोका हूँ.
मुझे कैसे यकीन आये..️मोहब्बत तुम भी करते हो,
तुम्हें तो जब भी ️देखा है...हमेशा खुश ही देखा है.
किस कदर अजीब है यह..सिलसिले भी इश्क के,
मोहब्बत कायम रहती है..इंसान टूट जाते हैं .
कितना मुश्किल....सवाल पूछा है,
उसने आज.....मेरा हाल पूछा है.
एक उम्र बीत चली है... तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है... कल की तरह
एक बार और देख कर...आजाद कर दे मुझे,
मैं आज भी तेरी...पहली नजर की कैद में हूं.
कुछ नजर नहीं आता..उसके तसब्वुर के सिवा,
हसरत-ए-दीदार ने...️आँख को अंधा कर दिया.
वो जो मेरी धड़कन तक..सुन लेता था,
अब उसे मेरी..सिसकियां भी सुनाई नहीं देती.
मेरे हक में खुशियों...की दुआएं करते हो,
तुम खुद...मेरे क्यों नहीं हो जाते.
आज उसकी आंख में भी आंसू आ गए,
बच्चे को सिखा रही थी..मोहब्बत ऐसे नहीं ऐसे लिखते हैं.
बात वफाओं की...होती तो कभी ना हारते,
बात नसीब की थी..इसीलिए कुछ कर ना सके.
सभी की आंखों के आंसू सच्चे नहीं होते जनाब,
तुमने भी मुझसे रो-रो कर झूठ बोला था.
मुझे छोड़ने का फैसला तो...वो हर रोज करते हैं,
मगर उसका बस नहीं चलता...मेरी वफा के सामने.
चलो उसका नहीं तो..खुदा का एहसान लेते हैं,
वो मिन्नत से नहीं माने तो..मन्नत से मना लेते हैं.
तजुर्बा एक ही काफी था बयां करने के लिए,
मैंने देखा ही नहीं इश्क दोबारा करके .
फुर्सत अगर मिले तो..मुझे पढ़ना जरूर तुम,
मै नायाब उलझनो की..मुकम्मल किताब हूँ.
खुद पर बीती तो रोते हो तड़पते हो,
क्यों जो मैंने किया था वो ️इश्क नहीं था क्या ?
वो मेरे पास से गुजरे..और मेरा हाल तक न पूछा,
हम कैसे यकीन करे..कि वो दूर जाकर रोए होंगे.
तुम किसी और से..मालूम तो कर के देखते,
हम किसी और के कितने थे..और तुम्हारे कितने ?
दो कदम साथ...ना दे सके,
जिंदगी क्या ..साथ गुजारते तुम.
उम्र भर यही भूल करता रहा ग़ालिब,
धूल चेहरे पर थी..और आईना साफ करता रहा.
शोहरत बदल देती है अक्सर रिश्तों के मायने,
खुदा किसी को इतना भी मशहूर ना करें.
माना के मर जाने पर भुला दिए जाते है लोग ज़माने में,
पर मैं तो अभी जिन्दा हूँ फिर कैसे उसने मुझे भुला दिया ?
पत्थरों को शिकायत है कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम,
पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते.
मन को छूकर लौट जाऊँगा किसी दिन,
तुम हवा से पूछते रह जाओगे मेरा पता.
नफ़रत करते तो..अहमियत बढ़ जाती उनकी,
मैंने..माफ़ कर के उनको शर्मिंदा कर दिया.
कभी तो ऐसी भी हवा चले,
कौन कैसा है पता तो चले.
नब्ज़ क्या ख़ाक बोलेगी.. हुज़ूर,
जो दिल पे गुज़री है.. वो दिल ही जानता है.
सब को प्यार करने के लिए हम इस दुनिया में आए थे,
पर बीच में आप जरा ज्यादा पसंद आ गए.
तुम एक बार मुझसे मुझ जैसी मोहब्बत करके तो देखों यार,
प्यार उम्मीद से कम हो तो सजा-ए-मौत दे देना.
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी,
प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे.
रहने दे मुझे इन अंधेरों में ग़ालिब,
कमबख़्त रौशनी में अपनों के असली चहरे सामने आ जाते हैं.
तेरे किस किस ख़्याल को दिल से जुदा करूँ,
मेरे हर ख़्याल में तेरा ही ख़्याल रहता है.
तू मुझे गुनेहगार साबित करने के तरीके ना ढूँढ.
बस ये बता दे कि मुझे क्या क्या कबूल करना है.
ताउम्र बस एक यही सबक याद रखिये,
इश्क़ और इबादत में नीयत साफ़ रखिये.
मैं अगर खत्म भी हो जाऊं इस साल की तरह,
तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नये साल की तरह.
रिश्तों में हम यूँ ही नही मालामाल हुए हैं,
हर समय हर जगह पर हम सिर्फ इस्तेमाल हुए हैं.
किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस खुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनकाब होता तो सोचो कितना फसाद होता.
ज़नाज़ा इसलिए भारी था उस गरीब का,
वो अपने सारे अरमान साथ लेकर गया था.
न आये लब पे तो कागज़ पे लिख दिया जाये,
किसी खयाल को मायूस क्यों किया जाये.
जरूरी नहीं हर बात पर तुम मेरा कहा मानों,
दहलीज पर रख दी है चाहत,आगे तुम जानो.
उदासी तुम पे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे,
कि कितना दर्द होता है नज़रअंदाज़ करने से.
लोगों की वज़ह से दुखी मत होइए,
सब के सब मरेंगे एक दिन.
प्यार के दो मीठे बोल से ही खरीद लो मुझे,
दौलत की सोचोगे तो पूरी दुनिया बेचनी पड़ेगी.
अब मरता नहीं तो क्या करता यारों,
गले लगकर मुझे धीरे से बोले अगले जन्म में मैं तेरी.
तू समझता है गर फ़िजूल मुझे,
एक पल भी हिम्मत करके भूल मुझे.
वजह पुछाेगे तो जिंदगी गुजर जायेगी,
कह दिया ना अच्छे लगते हाे तो बस लगते हाे.
कोई ताल्लुक है गहरा जो खत्म नही होता,
मैनें देखा है कई बार उस से किनारा करके.
मुझको ढूंढ ही लेती हैं रोज एक नए बहाने से,
मुश्किलें वाकिफ़ हो गयी हैं मेरे हर ठिकाने से.
रख लो ना तुम मुझे अपने दिल में,
गर पूछे कोई
तो बता देना, किराएदार है दिल का.
तो बता देना, किराएदार है दिल का.
मुस्कुराना कोन सा मुश्किल काम है,
बस तुम्हे सोचना ही तो है.
इतना कुछ हो रहा हैं, दुनिया में,
क्या तुम मेरे नही हो सकते.
दिल चाहे कितना भी तकलीफ में हो.
तकलीफ देने वाला दिल मे ही रहता है.
मेरे बिना क्या अपनी ज़ुल्फ़ें संवार लोगी तुम ?
इश्क़ हूँ, कोई ज़ेवर नहीं जो उतार लोगी तुम.
यूँ तो बहुत से आसान तरीक़े हैं तुमको भूल जाने के,
ये और बात है कि मैंने कभी भूलना नहीं चाहा.
पागल नहीं थी मैं जो तेरी हर बात मानती थी,
तेरी ख़ुशी से अच्छा और कुछ लगता ही नहीं था.
जज्बातों से कहीं आगे निकल गया हूँ मैं,
आग से नहीं पानी से भी जल गया हूँ मैं.
मुमकिन ना होगा यूं भूल जाना मुझको,
तेरा गुनाह हूं मैं अक्सर याद आऊंगा..
तुझे क्या पता कि मेरे दिल में,कितना प्यार है तेरे लिए,
जो कर दूँ बयान तो, तुझे नींद से नफरत हो जाए.
दिल मजबूर हो रहा है तुम से बात करने को,
बस जिद ये है कि बात की शुरुआत तुम करो.
मोहब्बत की अदालत में इंसाफ कहाँ होता है,
सज़ा उसी को मिलती है जो बेगुनाह होता है.
बहुत दूरिया हैं हम दोनो के बीच,
फिर भी तुझसे ज्यादा करीब कोई नही.
किसी फकीर से पूछो न किसी पीर से पूछो,
तुम अपने बारे में अपने ज़मीर से पूछो.
मुझे क़बूल है.. हर दर्द..हर तकलीफ़ तेरी चाहत में,
सिर्फ़ इतना बता दे क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है ?
रोते रोते थककर जैसे बच्चा कोई सो जाता है,
हाल हमारे दिल का अक्सर ऐसा हो जाता है.
खर्च कर दिया है खुद को पूरा तुम पर,
और तुम अब भी कहते हो की हिसाब अधूरा है.
इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर, कुछ वक़्त भेज दूं
सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है, अपनों को याद करने की.
मौत से पहले भी एक और मौत होती है,
देखो जरा तुम किसी अपने से जुदा हो कर.
इश्क महसूस करना भी इबादत से कम नहीं,
ज़रा बताइये छू कर खुदा को किसने देखा है.
आज गुमनाम हूँ तो ज़रा फासला रख मुझसे,
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता निकाल लेना.
कोई समझ ना सका उस गरीब की मज़बूरी,
जो सांसे बेच रहा था गुब्बारे में भर के.
फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़,
फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझे.
बुला रहा है ज़माना मगर तरसता हूँ,
कोई पुकारे बेसबब मुझे तुम्हारी तरह.
न खौफ कर मुझसे, तुझे रुसवा न करूंगा,
तू रूह-ए-इज्ज़त है मेरी, फ़कत मोहब्बत ही नही.
कैद कर लो हमें अपनी बाहों के दायरे में,
यूं आजाद रहना अब अच्छा नहीं लगता.
अब हमसे ना पूछो मायने मोहब्बत के,
जितनी भी थी तुम पर लुटा दी हमनें.
सुना है इन बादलो के पार है इक रूहों का शहर,
हम मिलेंगे वहाँ.. तुम मेरा नाम याद रखना.
कुछ तुम ले गये, कुछ ज़माना,
इतना शुक़ून हम, लाते कहाँ से.
मैनें उन तमाम लोगों से रिश्ता तोड़ दिया है,
पगली, जो तुम्हें भूलने की सलाह दे रहे थे.
हम हुए क्या ज़रा ख़फ़ा तुमसे,
जिसको देखो तुम्हारा हो गया है.
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया.
यहाँ लिबास की कीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे.
मैंने करवट बदलकर देखा है,
याद तुम उस तरफ़ भी आते हो.
है कोई जनाज़ा पढ़ने बाला,
मैं अपने दिल को मार बैठा हूँ.
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पाओ की आहट से डर गया.
तुम मुझे रूह में बसा लो तो अच्छा है,
ये दिल-ओ-जान के रिश्ते अक्सर टूट जाते हैं.
ज़रा ज़रा सी बात पर तकरार करने लगा है,
लगता है वो शख्स मुझसे बेइंतेहा प्यार करने लगा है.
तेरी मदहोश नज़रों से जो घायल हुआ होगा,
मुझे नहीं लगता वो कहीं भी पहुँच पाया होगा.
ये जानते हुए भी कि हम एक दुसरे के नसीब में नहीं है,
फिर भी मोहब्बत दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम,
प्यार की बात न सही...कोई शिकायत ही कर दे.
वफादार और तुम, ख्याल अच्छा है,
बेवफा और हम, इल्जाम भी अच्छा है.
खुद से मिलने की भी फुरसत नहीं है,
अब मुझे,
और वो औरों से मिलने का इलज़ाम लगा रहे है.
लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आजकल,
एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए.
सुनो..इतनी दिवानगी नहीं अच्छी,
तुम थोड़ा संभल के मिला करो मुझसे.
मोहब्बत सब्र के अलावा कुछ नही,
मैने हर इश्क़ को इंतज़ार करते देखा है.
तेरे सिवा हम किसी और के कैसे हो सकते हैं,
तू खुद ही सोच के बता तेरे जैसा कोई और हैं क्या.
हिसाब-किताब हम से न पूछ अब, ऐ-ज़िन्दगी,
तूने सितम नही गिने, तो हम ने भी ज़ख्म नही गिने.
"मेरे जागने कि वजह मत पूँछ ऐ चाँद,
वो तेरा ही हमशक्ल है जो मुझे सोने नही देता.
इतना मुश्क़िल सवाल नही हूँ मैं,
लोग कहते है तेरा जवाब नही.
बहुत मुश्किल तजुर्बा हूँ मैं,
बेहतर होगा तुम दूर रहो मुझसे.
ना कोई शिकवा ना कोई गिला ना कोई मलाल रहा,
सितम तेरे भी बेहिसाब रहे सब्र मेरा भी कमाल रहा.
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग.
वो एक नदी की तरह कभी मुड़ी नहीं,
मैं एक समंदर की तरह आगे बढ़ा नहीं.
मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर,
मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते.
मेरी अधूरी मोहब्बत का, मुझे हिसाब चाहिये,
मैं सही थी या ग़लत, बस मुझे ज़वाब चाहिये.
बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी और,
हम उनसे मिलनें की चाहत में भीग जाते हैं.
कुछ चीज़ें दिल को सुकून देती हैं,
तुम्हारा चेहरा उस List में पहले आता है.
पता नहीं तुझे यकीन क्यूँ नहीं आता,
कि मेरा दिल तेरे सिवा किसी और को नहीं चाहता.
तुम बिलकुल चाँद की तरह हो,
नूर भी उतना, ग़ुरूर भी उतना, और मुझसे दूर भी उतना.
मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा,
तेरा वादा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा.
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना,
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में.
कोई बेसबब, कोई बेताब, कोई चुप, कोई हैरान,
ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िल के तमाशे ख़त्म नहीं होते.
सच कहा था किसी ने तन्हा जीना सीख लो,
मोहब्बत कितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ जाती है.
गलत कहते है लोग कि संगत का असर होता है,
वो बरसों मेरे साथ रही फिर भी बेवफ़ा निकली यारो.
समेट कर ले जाओ,
अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से.
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर,
इनकी ज़रूरत पड़ेगी.
हिचकियाँ दिला कर ये कैसी उलझन बड़ा रहे हो,
आँखे बन्द हैं फिर भी नज़र आ रहे हो.
बस इतना बता दो,
याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो.
Jab Naam Tera Pyar Se Likhti Hain Ungliyaan.
Meri Taraf Zamanay Ki Uthti Hain Ungliyaan.
Is baat ka ehaas kisi par na hone dena,
Ke teri Chahaton se chalti hai meri sansein.
Ajeeb Qissa Suna Hum Ne Aaj Ek Buzurg Se,
Kisi Gareeb Ne Zindagi Se Tang Aa Kar Mohabbat Kar Li.
Mil hi Jayega Hum ko bhi koi toot ke Chahne wala,
Ab shehar ka Shehar toh Bewafa nahi ho Sakta.
Kabhi Ulfat Bhara Lehja Kabhi Utra Huya Chehra,
Smajh Me Kuch Nahi Aata.. Bataa Mera Gunah Kya Hai.
Kab tak bhugtun, main ab saza teri,
Aye ishq maaf karde, ghalti hogayi.
Ajj Phir Totaain Gi Teray Ghar Ki Nazuk Khirkiyan,
Ajj Ek Deewana Teray Shahar Mein Dekha Gaya.
Naya naya shauq unhe roothne ka lagta hai,
Khud hi bhool jaate hai, ke roothe the kis baat par.
Bhooli huyi subah hoon mujhe yaad kijiye,
Tum se kahin milaa hoon mujhe yaad kijiye.

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